Shikha Arora

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लेखनी प्रतियोगिता -01-Jul-2022 - पर उपदेश

पर उपदेश कुशल बहुतेरे,
मन से हटा लो तम के डेरे।
वक्त बुरा जो किसी का आता, 
उपदेश देना दुनिया को भाता।
अपनी बारी हर कोई भूले,
दूजे के कांधे हर कोई झूले।
सच यही जाके पांव न फटे बिवाई,
वो क्या जाने पीर पराई।
चोट अपनी तो सबको दिखती,
दूजे का खून भी पानी लगती।
लाचारी किसी के नहीं समझते,
उपदेश देने वाले बहुत हैं मिलते।
झगड़ा दूसरों से करते खुद ही ,
शांति का पाठ फिर पढ़ाते खुद ही।
आसान बहुत होता उपदेश देना,
दूसरों पर अपनी धोंस देना।
काम अगर बिगड़ता हो कोई ,
कहते तुम्हारी किस्मत है सोई ।
मदद करने की खुद ना सोचे,
जख्मों को उसके यहां खरोचें।
जीवन के संघर्षों को सहना पड़ता ,
अपनी गाड़ी को पटरी पर लाना पड़ता ।
उपदेश देने वाले बहुत है मिलते,
कम होते जो मुसीबत में साथ है चलते।।


दैनिक प्रतियोगिता हेतु
शिखा अरोरा (दिल्ली)

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5 Comments

Raziya bano

02-Jul-2022 09:41 AM

Bahut khub

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Alfia alima

02-Jul-2022 09:12 AM

Nice

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Punam verma

02-Jul-2022 08:23 AM

Nice

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